Followers

Powered by Blogger.
RSS

Hindi Short Story Seendh By M.Mubin


कहानी   सेंध    लेखक  एम मुबीन   

मजबूत आधार के बिना ऊंची इमारत नहीं की जा सकती.
जिस इमारत के आधार जितनी अधिक सशक्त होगी इसकी ऊंचाई इतनी अधिक संभव है. सलेब के लिए लोहे की सलाखें जरूरी हैं.
अच्छे अच्छे माल का एक ईंट की दीवार को भी परिपक्वता दे देता है. स्तंभ की मजबूती पर इमारत की मजबूती निर्भर होती है.
दलदल क्षेत्रों में निर्माण होने वाली इमारतों के आधार काफी गहरी होनी चाहिए. उसे ऐसा लग रहा था जैसे कला निर्माण के ये सारे सिद्धांत आप खटि मटि होकर नए नियम सेट कर रहे हैं.
कमजोर आधार पर भी ऊँची इमारतें की जा सकती हैं.
जरूरी नहीं कि इमारत के निर्माण में उत्कृष्ट सामान इस्तेमाल किया जाए. इमारत से मतलब है तो इस इमारत की सुरक्षा की जिम्मेदारी इमारत के निवासियों पर लागू होती है.
वह सिर पकड़े बैठा अपने सामने फैले कागज को घूर रहा था. जिस पर उसने एक नई इमारत मानचित्र बनाया था.
मानचित्र बड़ा सुंदर था. नीचे के हिस्से में दुकानें थीं. 20, 25 दुकानें. शहर के जिस हिस्से में इमारत बनाई जाने वाली थी इस अनुभाग में जो दुकानों की कीमत चालू थी उसके हिसाब से एक दुकान चार, पांच लाख से कम बिक्री नहीं होगी.
इन दुकानों के ऊपर तीन मंज़िलों पर आवासीय फ्लैटों का निर्माण की योजना थी. इन फ्लैटों की कीमत भी दो से तीन लाख तक आसानी से जाएगी.
दुकानें तो बड़े बड़े उद्योगपति खरीद लेंगे. उनमें बहुत से ऐसे व्यापारी शामिल होंगे जिनकी शहर के विभिन्न हिस्सों में और भी दुकानें हूंगी.
उन लोगों के लिए इस क्षेत्र में नई दुकान शुरू करने के लिए चार पांच लाख रुपए का निवेश करना कोई मुश्किल काम नहीं होगा.
कुछ ऐसे होंगे जो पहली बार कोई धंधा शुरू कर देंगे और दुकानों की खरीद के लिए उन्होंने अपने जीवन की सारी कमाई और बचत केवल की होगी. कुछ लोग ऐसे होंगे जिन्होंने कई स्थानों से कर्ज लेकर उन दुकानों कीमत अदा की होगी.
इन दुकानों के ऊपर जो फ्लैट बनाए जाएंगे उन्हें खरीदने और उनके निवासियों की भी अपनी अलग कहानी होगी.
कुछ लोग उन्हें एक जुए के रूप में खरीदना चाहेंगे. जिस कीमत पर आज वह फ्लैट खरीद रहे हैं अगर कल अधिक मूल्य आएगी तो बिक्री कर लाभ कमाएँ हैं.
कुछ लोग दूरदराज के क्षेत्रों से अपनी गंदी तंग सी खोलयाँ बेच इस जगह आबसें हैं. इन फ्लैटों में कुछ नौकरी पेशा लोग भी आबसें हैं जो अपनी सारी जीवन की बचत और उच्च ब्याज दरों पर ऋण लेकर उन कमरों की क़ीमतकरेंगे और फिर उसमें आकर बसने के बाद आधी जीवन तक पेट काट काट कर इस ऋण की किश्तें और ब्याज अदा करेंगे.
अगर इस इमारत के निर्माण होने के बाद उसे किसी कानूनी जटिलताएं बढ़ा सकती सहारा लेकर ध्वस्त कर दिया गया तो? या निर्माणाधीन इमारत किसी मतभेद का शिकार होकर अधूरी रह गई तो? उसे लगा फिर एक बार इस इमारत में दुकानें और फ्लैट लेने वाले आकर उसके सामने खड़े हो जाएंगे.
"रविश भाई! इमारत का योजना आपका था. हमने तो केवल आपके योजना और आपका नाम होने की वजह से इमारत में मकान और दुकानें खरीदी थीं. क्या आपको इस इमारत का प्लान बनाते समय इन बातों का पता नहीं था, क्या आपने जानबूझ कर इन बातों की अनदेखी की और हमारे जीवन की कमाई पर लूट में शामिल भूमिका निभाई? "उसका दिल चाहा कि कागज को मरोड़ कर पुर्जे पुर्जे कर मगर वह ऐसा नहीं कर सका. और कुर्सी से पीछे लगा कर बैठ गया.
आज कम से कम दस लोगों से मिलकर गए थे. दसों लोगों की अपनी अपनी अलग कहानी थी. इन कहानियों को सुन वह दहल उठा था. उसकी आंखों के सामने उनके दीं चेहरे और कानों में दर्द भरी फ़्रीादें गूंज रही थीं.
"रविश भाई! मेरा लड़का तीन साल से गल्फ़ में है. वह अगले साल देश वापस आ रहा है उसका इरादा फिर वापस जाने का नहीं है. उसका इरादा यहाँ पर कोई छोटी मोटी दुकान खोल कर बस जाने का था. इस उद्देश्य केइसलिए मैंने बसेरा में एक दुकान बुक कराई थी. अब तक उसने जितने पैसे रवाना किए थे सब इस दुकान की खरीद पर लगा दिए. दुकान की पूरी कीमत अदा करने के लिए कुछ लोगों से कर्ज भी लिया. यह सोच कर कि बेटा पैसा रवाना करेगा तो उनका ऋण अदा कर दूंगा. परंतु अब न तो बसेरा है और न ही दुकान. मेरे बेटे की तीन साल की मेहनत और खून पसीने की कमाई बर्बाद हो गई. अब उसका क्या होगा? चार साल बाद वह वापस देश आएगा तो पहले की तरह कलाश और बेकार है. "
"रविश साहब मैं एक नौकरी पेशा व्यक्ति हूँ." उसकी आँखों के सामने एक दूसरे व्यक्ति का दीन चेहरा उभरा. "बसेरा में मैंने फ्लैट बुक किया था. पिछले बीस सालों की नौकरी के दौरान बचत कर पाया था. सब इस फ्लैट की कीमत अदा करने में लगा दी फिर भी क़ीमत पूरी तरह से भुगतान नहीं कर सका तो एक दो स्थानीय बैंकों और क्रेडिट सोसाइटयों से कर्ज लेकर फ्लैट की पूरी कीमत अदा कर दी. यह सोच कर कि बीस साल से एक तंग खोलने में अपने परिवार के साथ गज़ारह कर रहा हूँ. उस फ्लैट में आने के बाद तंग कोठरी से तो मुक्ति  मिलेगी. परंतु बसेरा ध्वस्त कर दी गई. अब भी भाग्य में वही कोठरी है और ऋण का बोझ इसके अलावा. सारी जीवन की कमाई तो लुट ही चुकी है.
हर आदमी की अपनी एक अलग कहानी थी.
वह उन लोगों की आँखों में उनकी विवश्‍ता  और उनके सपनों के ाजड़ने का पीड़ा  बखूबी देख सकता था. वह केवल फ़रियाद कर रहे थे और अपने ाजड़ने की कहानी सुना रहे थे. अपनी बर्बादी पर आंसू बहाने के अलावा शायद उनके पास कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था.
कोई भी जोश में भरे उसके पास नहीं आया था. बरबाद होने के बाद दूसरे को नष्ट करने का प्रण करने वाला कोई नहीं था. किसी की आंखों में प्रतिशोध की लौ नहीं था. केवल विवश्‍ता  और बे चारगी थी. और उनकी बे बसी और बीचारगी को देखकर वह दहल उठा था और बार बार उसे एहसास हो रहा था कि लोगों को केवल बाबू भाई ने बर्बाद नहीं किया है. उनकी बर्बादी में भी पूरा पूरा हाथ है. कुछ लोगों ने केवल दबी आवाज़ में उस पर आरोप लगाया था.
"रविश भाई! आप शहर के माने हुए आरकटेकट हैं. आपका नाम ही मानक काम, ईमानदारी की गारंटी है. बसेरा मानचित्र आपने बनाया था. इसका निर्माण में आपका योजना, आपके सुझाव और आपका मार्गदर्शन शामिल थी. ज़ाहिर सी बात है योजना बनाते समय आपने इमारत के निर्माण के सभी कानूनी पहलुओं को भी अच्छी तरह जान लिया होगा. इमारत के निर्माण में अब कोई भी अवैध पहलू शामिल नहीं होगा. जिसकी वजह से हम किसी मुश्किल में फंस जाएं. आपके नाम ने हमें इस बात की गारंटी दी थी परंतु अफसोस हम धोखा खा गए. आपने साबित कर दिया. पैसा के लिए कुछ भी कर सकते हैं. आपको इन बातों से कोई लेना देना नहीं है कि आप जिस इमारत के निर्माण के लिए मानचित्र बना रहे हैं, जिससे इमारत के निर्माण में मार्गदर्शन कर रहे हैं वह कानूनी या गैर कानूनी. अपने मुआवजे से मतलब. बन जाने के बाद वह अवैध साबित होकर डखा दी गई तो आपको से क्या लेना देना है. आपको तो अपना मुआवजा मिल चुका है. इमारत के आघात किए जाने के साथ कितनी जीवन से खिलवाड़ किया गया है उससे आपको क्या लेना देना है. मूर्ख तो वे हैं जो आपके नाम को विश्वसनीय समझकर द्वारा करते हैं और धोखा धोखा खाकर अपनी सारी ज़िंदगी की कमाई लिटा देते हैं. "
उन लोगों की बात बिल्कुल सच थी. इमारत मानचित्र बनाते समय और निर्माण के दौरान मार्गदर्शन करते समय इमारत के कानूनी या गैर कानूनी होने के बारे में उसने बिल्कुल विचार नहीं किया था. एक बिंदु पर वह एक बार उड़ा था.
बाबू भाई 1000 मीटर के प्लॉट पर 800 मीटर की इमारत का निर्माण करना चाहता था. यह असंभव है. एक हजार वर्ग मीटर जमीन पर आठ सौ वर्ग मीटर जमीन का प्लान पास हो ही नहीं सकता है. इतने कम एफ. एस. आई पर इमारत का निर्माण मंजूरी मिल ही नहीं सकती.
"इंजीनियर साहब आपका काम मानचित्र बनाना है और जरूरत पड़े तो इमारत के निर्माण के दौरान मार्गदर्शन करना है. योजना कैसे पास होगा और कौन पास करेगा यह देखना हमारा काम है. आपको जिस तरह का योजना बनाने के लिए कहा जा रहा है उसी तरह का योजना बनाई और अपना मुआवजा लीजिए. "
बाबू भाई ने उसे अपने पारंपरिक उखड़ स्‍वर  में कहा था. उसे न तो बाबू भाई की बात पसंद आई थी न स्टाइल परंतु इस बार भी वह दोस्त आड़े आया था जो बाबू भाई को उसके पास लाया था.
"रविश! तुम इन बातों के पीछे क्यों अपना समय बर्बाद कर रहे हो. बाबू भाई कह तो रहे हैं. वह स्‍वंय  नगरपालिका  इस योजना को स्वीकार कर लेंगे तुम्हें योजना स्वीकार करने के लिए दौड़ना नहीं पड़ेगा कि अगर गलत योजना बन जाए तो योजना मंजूर नहीं होगा बार बार परिवर्तन करना पड़ेगा. "
"ठीक है! आप लोग चाहते हैं तो मैं आपकी बताई जगह में योजना बना दूंगा" बाबू भाई को वह अच्छी तरह जानता था. एक समय वह शहर का प्रसिद्ध गुंडा और बदमाश था. बाद में वह राजनीति में पड़ कर स्थानीय नगरपालिका  का पार्षद बन गया और फिर सफेद पहने बनकर बिल्डर बन गया. वह बसेरा के नाम से एक इमारत बनाना चाहता था जिसमें दुकानें और मकान होंगे. इमारत के योजना के लिए वह उसके दोस्त के द्वारा उसके पास आया था.
अगर बाबू भाई अकेला आता तो शायद वह बाबू भाई के रोई और कानूनी बिंदु के आधार पर काम करने से इन्‍कार कर देता. परंतु अपने उस दोस्त की दोस्ती का लिहाज रखते हुए जिसकी द्वारा बाबू भाई उसके पास आया था, उसने वह काम करना स्वीकार कर लिया था.
उसे पता था बाबू भाई या कोई भी जिस तरह का योजना मंजूर कराने के लिए नगरपालिका  में जाएगा तो दुनिया की कोई भी नगरपालिका  इस योजना को स्वीकार नहीं कर सकती है.
उसे योजना बनाने का मुआवजा तो मिल ही जाएगा फिर योजना स्वीकृत हो या न हो उसे इस बात से क्या लेना देना है.
अधिकतम उसे सिर्फ एक काम नहीं मिलेगा वह काम इमारत के निर्माण के लिए मार्गदर्शन करने का. यदि वह काम उसे न भी मिले तो स्वास्थ्य पर कोई असर पड़ने वाला नहीं था. वैसे भी उसके पास इतना काम था कि वहऔर काम लेकर मन का सुकून और चीन खोना नहीं चाहता था. इसलिए उसने बाबू बाई के कहने के अनुसार बसेरा का प्लान बना कर उसके हवाले कर दिया.
उसकी हैरानी की स्थिति न रही जब उसे पता चला कि बसेरा का आधारशिला रख दिया गया और निर्माण कार्य शुरू हो गया और बाबू भाई ने निर्माण में मार्गदर्शन के लिए उसे ही पसंद है. वह योजना कैसे स्वीकार हुआ? उसे इस बात पर आश्चर्य हो रही थी. उसने नगरपालिका  से स्वीकृत योजना की एक प्रति बाबू भाई से मांगी तो बाबू भाई ने उससे साफ कह दिया.
"रविश भाई तुम इस बात से क्या लेना देना, तुम निर्माण के लिए मार्गदर्शन करो." वैसे भी वह बाबू भाई से उलझने नहीं चाहता था. वह बाबू भाई को अच्छी तरह जानता था और उसके दोस्त ने उसे समझाया कि वहबाबू भाई से कभी न उलझे, वह अच्छा आदमी नहीं है. विशेष रूप से अपने साथ उलझने वालों को कभी नहीं बखशता है. इसलिए उसने बाबू भाई से उलझने छोड़ कर अपना काम शुरू कर दिया.
वह प्रतिदिन जिस जगह बसेरा निर्माण हो रहा था वहां जाकर निर्माताओं को विभिन्न निर्देश देता. कभी उसकी निर्देश पर अमल किया जाता तो कभी उसकी निर्देश की अनदेखी कर अपनी ईच्‍छा से काम किया जाता. वह जब भी इस तरह का कोई काम देखता अपना सिर झटक देता और सोचता.
"अगर इमारत में कोई त्रुटि रह गई तो उसे नगरपालिका  का इंजीनियर पास ही नहीं करेगा. इस समय बाबू भाई को बता गाँव कि इसके जिम्मेदार वह और उसके निर्माता हैं जिन्होंने उसकी बात नहीं मानी थी."
बाबू भाई ने समीप  ही बाबू कंस्ट्रक्शन के नाम से एक कार्यालय खोल लिया था. इस ऑफिस में बसेरा में दुकानें और मकान खरीदने वालों की भीड़ लगी रहती थी. काम तेजी से हो रहा था और बाबू भाई तेजी से दुकानों और मकानों का पैसा भी प्राप्त कर रहा था. यदि किसी की किश्त दो तीन दिन भी लेट हो जाती तो वह उसे दुकान या मकान से बेदखल कर देने की धमकी देता. इससे डर कर बाद में वह आदमी और दूसरे लोग समय पर किश्तें अदा करते.
बसेरा के निर्माण कुछ स्थानों पर बहुत अच्छी इस के आदेशानुसार हो रही थी तो और जगहूं पर नहीं इसकी वजह से उसे विश्वास हो गया था कि इमारत पक्की नहीं बनेगी. जहां खर्च अधिक होने का भय था वहां खराब काम कर खर्च बचाया जा रहा था.
जहां कम खर्च में अच्छा काम हो सकता था वहाँ अच्छा काम किया जा रहा था. इमारत के जो फ्लैट और दुकानें तैयार हो गईं थीं उनकी पूरी कीमत वसूल कर बाबू भाई ने फ़्रापदिली का सबूत देते हुए दुकानें और मकान उनके मालिकों के हवाले कर दिए थे. यह कहते हुए कि वह लोगों का नुकसान नहीं चाहता है. काम तो चलता रहेगा. ज़रूरतमंद यहाँ आकर रह सकते हैं या अपना व्यवसाय शुरू कर सकते हैं. इस वजह से बहुत से लोग आकर वहाँ रहने भी लगे थे. ओ रकई लोगों ने अपनी दुकानें भी शुरू कर दी थीं.
जिस व्यक्ति की जमीन पर बसेरा निर्माण हुई थी बाबू भाई ने न तो उस व्यक्ति से वह ज़मीन खरीदी थी न उस से इस धरती पर इमारत बनाने के लिए कोई अनुबंध किया था. बाबू भाई ने जो समझौते की प्रतिलिपि लोगों को बताई थी जिसकी रो से उसने इस धरती पर निर्माण कार्य शुरू किया सरासर झूठा था. उसका बनाया योजना न तोमेौंसपलटी में भर्ती कराया गया था न उस योजना की मंजूरी ली गई थी. न इमारत के निर्माण के लिए नगरपालिका  से कानूनी तौर पर मंजूरी ली गई थी . अपने पहुंच   और पैसा शक्ति पर बाबू भाई ने संबंधित विभाग के अधिकारियों को खरीद कर इस बात पर राज़ी कर लिया था कि जब तक वह इमारत पूरी निर्माण नहीं हो जाती और वह इमारत के ग्राहकों से पूरी मूल्य प्राप्त नहीं कर लेता वह आंखबंद किए बैठे रहेंगे. वह बाबू भाई की पूरी राशि की वसूली के बाद जो चाहे वह कार्रवाई कर सकते हैं.
और उन्होंने कार्रवाई की. इमारत को अवैध निर्माण करार देकर डखा दिया. कल जहां एक बहुत बड़ी इमारत निर्माणाधीन थी. नगरपालिका  प्रक्रिया के बाद वह जगह मलबे का ढेर बन गई.
नगरपालिका  के अवैध इमारतों को ध्वस्त करने वाले दस्ते ने बसेरा को ध्वस्त हो जाने के बाद कर्तव्य ननवा के लिए वाह वाही लौटी. बसेरा ध्वस्त हो जाने के बाद भी बाबू भाई के स्वास्थ्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा. वह तो सारे पैसे वसूल कर करे करोड़ों कमा चुका था.
बर्बाद तो वे हुए जिन्होंने बसेरा में मकान और दुकानें खरीदी थीं. वे किसके पास फरियाद लेकर जाएं कि उनके साथ कितना बड़ा धोखा हुआ है, सेंध हुई है और कैसे दीदह दलेर उनकी जीवन भर की गाढी पसीने की कमाई को लूटा गया है. उन्हें लौटने वाले डाकोउं में अगर बाबू भाई शीर्ष है तो वह व्यक्ति भी शामिल है जिसकी जमीन पर इतने दिनों तक इतनी बड़ी इमारत होती रही और वह चुपचाप तमाशाई बना रहा.
नगरपालिका  और नगरपालिका  का वह कर्मचारी भी शामिल है जो एक अवैध निर्माण निर्माण होते देखता रहा. और उसके साथ वह भी शामिल है. जो एक अवैध योजना बनाया और योजना बनाने से पहले इस बात की पुष्टि नहीं की कि भूमि मालिक और बिल्डर के बीच निर्माण के निर्माण के लिए कोई अनुबंध या खरीद और बिक्री हुई या नहीं. सभी सिद्धांतों को ध्यान में रखकर योजना नहीं बनाई. एक अवैध निर्माण योजना बना.
और अपने नाम की वजह से कई लोगों को धोखा देकर बर्बाद कर दिया.

  अप्रकाशित
मौलिक
------------------------समाप्‍त--------------------------------पता
एम मुबीन
303 क्‍लासिक प्‍लाजा़, तीन बत्‍ती
भिवंडी 421 302
जि ठाणे महा
मोबाईल  09322338918

  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • RSS

0 comments:

Post a Comment