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Hindi Short Story Shapit By M.Mubin


कहानी    शापित   लेखक  एम मुबीन   


इस बाज़ार से गुजरते हुए उसके कदम लड़खड़ा रहे थे.
उसे आशंका महसूस हो रहा था यहाँ उसके साथ वही होगा जो अभी तक उसके साथ होता आया है. वह उस तरफ जाने से कतरा रहा था. उसने बहुत कोशिश की कि उसे इस ओर जाने की आवश्यकता ही पेश न आए. परंतुइस ओर जाने को टाल नहीं सका. ख्याल आया कि रिक्शा या सवारी द्वारा इस बाज़ार से गुज़र जाए. परंतु वह जिस दौर से गुज़र रहा था ऐसे में वहां से गुजरने के लिए उसे सवारी करने के बूते नहीं थी.
उसके एक दोस्त की पत्नी का निधन हो गया था.
उसका वह दोस्त साथ काम करता था. दोनों के बहुत करीबी संबंध थे इसलिए उस दोस्त की पत्नी के निधन की खबर सुनने के बाद परसह देने के लिए उसके घर जाना भी जरूरी था.
वह जानता था दोस्त जहां रहता है रास्ते में वह बाजार पड़ता है. वह एक तंग सड़क सी थी जिसके दोनों ओर हाकरों, फेरी वालों ने स्टाल बना रखे थे. इन छोटे छोटे लकड़ी के स्टॉल्स पर सारी दुनिया की चीजें बकती थीं. इनसामग्री में कुछ विदेशी सामान भी बकती थीं. कुछ विदेशी सामग्री की प्रतिलिपि जो मूल के नाम पर मूल की आड़ में बकती थीं.
स्टॉल्स लंबाई चौड़ाई बढ़ती ही जारी थी और रास्ता तंग होता जा रहा था. बड़ी सवारयाँ तो इस सड़क से गुजर ही नहीं सकती थीं. दूसरी सवारियों वाले भी इस रास्ते से जाने से कतरा थे. वहां से गुजरने के लिए वे दूर का लंबा रास्ता पसंद करते थे और उसी रास्ते को पसंद करते हैं.
हर राहगीर को बाजार से तकलीफ थी. हर कोई इस बाज़ार के विरूध  आवाज उठाता था कि बाजार के कारण यातायात में खलल आता है और वहां से गुजरने में घंटों लग जाते हैं. इसलिए अवैध बाजार को साफ कर यातायात सबसे बड़ी मुश्किल दूर की जाए.
नगरपालिका  ने कई बार बाजार को साफ करने की कोशिश की थी उस जगह को उजाड़ में कई दशवारयाँ पेश आई थीं. बाज़ार साफ भी हुआ था परंतु दो दिन बाद फिर बसुना शुरू हुआ था और आठ दिन बाद फिर अपनी वास्तविक स्थिति में वापस आ गया था.
इस बाज़ार के सारे हाकर और धंधा करने वाले गुंडा किस्म के लोग थे उनसे कोई भी उलझने की कोशिश नहीं करता था.
वह कई बार उनसे उलझ चुका था. परंतु वह उनसे समय उलझा था जब उसके पास शक्ति थी. अब उसे वहां से गुजरना है.
अगर उन्होंने उसे पहचान लिया तो?
वह लोग उसे पहचान तो लेंगे. भला उसे कैसे भूल सकते हैं. पहले वह आसानी से सामना कर लेता था क्योंकि उस समय उसके पास शक्ति थी.
परंतु अब वह कैसे उनका सामना करेगा?
बस यही सोच कर इस जगह से होते हुए उसके कदम लड़खड़ा रहे थे. लड़खड़ाती हिम्मत करके तय किया कि वह तेज तेज कदम बढ़ाए. मगर वही हुआ जिसका उसे आशंका थी. एक स्टॉल वाले की नज़र उस पर पड़ी और उसे पहचान लिया. और आवाज लगानी शुरू कर दी.
"अरे भाई! देखो, देखो, हमारे इस बाजार में कौन आया? हमारे इस बाजार में मोपनार साहब आए हैं."
"मोपनार साहब कहाँ हैं मोपनार साहब?"
सब चौंक पड़े और फिर चारों ओर से स्टॉल्स पर धंधा करने वालों ने उसे घेर लिया.
"नमस्ते मोपनार साहब!"
"कहिए कैसे आना हुआ? क्या फिर हमारे स्टॉल तोड़ने के लिए आए हैं, अरे आप के साथ के वे कमांडो बॉडी गार्ड दिखाई नहीं दे रहे हैं. न आपके हाथ में पिस्तौल है जो सरकार ने अपनी रक्षा के लिए हम समझदमों पर गोलियां चलाने के लिए दी थी. आपके साथ आपका वह वहशी सुनसुार दल भी नहीं है जो ऑन की ऑन में हमारे जीवन भर की कमाई यह स्टाल और हमारी रोज़ी रोटी ध्वस्त कर देता था. आज किसके सहारे हमारी रोज़ी छीनने आए हैं? "
"अरे आज यह हमारी रोज़ी क्या छीना है? उसकी रोज़ी तो कभी की छीनी जा चुकी है. अब यह साहब नहीं है अधिकारी नहीं है एक साधारण आदमी है. उसे पद से हटा दिया गया है. यह निलंबित है कुछ दिनों में निकाल भी दिया जाएगा साले ने हम पर बहुत अत्याचार आघात किए हैं. आज मौका हाथ आया है चाहो तो इससे उसके एक अत्याचार का हिसाब ले लो. उसकी मदद को कोई नहीं आने वाला. "
"अरे यार! मरे हुए को क्या मारना यह तो पहले ही मारा जा चुका है. यह सरकारी अधिकारी हैं नां, उनका पद, उनकी कुर्सी उनके जीवन है. उसी पद, कुर्सी का वह दिल खोलकर दुर्व्यवहार करते हैं . परंतु कुर्सी से हटते ही उनकी जीवन कुत्तों से बदतर हो जाती है. यह मोपनार भी एक कुत्ते से अधिक नहीं है. सड़क का एक आवारा कुत्ता जिसे जो चाहे मार सकता है. "
"अरे जाओ! हाजरह ख़ाला को बुलाकर लाओ. उससे कहना तुम्हारे बेटे का हत्यारा   आया है. बेटे की मौत के ग़म में बेचारी पागल हो गई है. अपने मासूम बेटे के हत्यारे को मौत की नींद सुला कर शायद उसे सुकून मिल सके . "
चारों ओर आवाज़ें आ रही थीं और उसका सारा शरीर भय से कांप रहा था. शरीर के कपड़े पसीने से तर हो रहे थे. आंखों के सामने अंधेरा सा छा रहा था. उसे अपनी मौत अपने सामने नृत्य करती महसूस हो रही थी. सचमुचउसने उन लोगों के साथ जो किया था. ये लोग उस समय आसानी से इसका बदला ले सकते थे. उसे मौत की मीठी नींद सुला कर.
सचमुच उस समय उसकी मदद को कोई भी नहीं आने वाला था.
अपने अंजाम के बारे में सोच सोच कर ही उसकी आंखों के सामने अंधेरा छा रहा था. अचानक एक बूढ़ी औरत भीड़ को चीरती हुई आगे बढ़ी.
"कहाँ है मेरे बेटे का क़ातिल, कहाँ है मेरे बेटे का क़ातिल?"
"ख़ाला! है तुम्हारे बेटे का क़ातिल. बहुत दिनों के बाद हाथ आया है. आज तुम इस बच्चे की मौत का बदला ले सकती हो. हम तुम्हारे साथ हैं."
"अरे ज़ालिम! तुझे मेरे मासूम इकलौता पुत्र को मार कर क्या मिला, क्या बिगाड़ था उसने तेरा, तेरी उससे क्या दुश्मनी थी. तुझे दुश्मनी इन फेरी वालों से थी नां तो उन्हें गोली मारता? मेरा बेटा तो फेरी नहीं करता था ......! वह तो स्कूल जाता था स्कूल. वह मेरे जीवन का अंतिम सहारा था फिर तू ने क्यों उसे गोली मारी बोल, फिर तो उसे क्यों गोली मारी? "
बुढ़िया से लिपट गई और गिरेबान पकड़ कर झकझोरते लगी.
"जा......! तू ने मेरी ज़िंदगी बर्बाद की. ख़ुदा तेरी भी जीवन बर्बाद करेगा. मैं तुझ को बददाा देती हूं, तू ने मेरे जीवन का आराम छीना है. तुझे जीवन भर आराम नहीं मिलेगा, तो जीवन भर आराम की खोज में दर दर की ठोकरें खाएगा, जा चला जा. मेरी आँखों से दूर हो जा ज़ालिम, मेरी आंखों से दूर हो जा. "यह कहती हुई बुढ़िया रोती हुई वापस भीड़ में गुम हो गई.
"अरे उसके साथ क्या, क्या करें? हाजरह ख़ाला ने तो उसे छोड़ दिया."
"अरे जिसकी जीवन उसने छीन ली उसने उसे छोड़ दिया. तो हमारी हैसियत ही क्या. उसने तो जितनी बार हमें उजाड़ हम आबाद हो गए. फिर हम क्या बदला लें. मेरे विचार में उसे छोड़ दिया जाए." कोई बोला.
"हाँ हाँ. उसे हाल पर छोड़ दिया जाए." कहकर भीड़ एक तरफ हट गया.
"जाइए मोपनार साहब जहां जाना है का ख्र जाइए." कोई बोला.
छुट्टती भीड़ देखकर उसकी जान में जान आई.
उसने अपने माथे पर आए पसीने को साफ किया. फूली हुई साँसों पर नियंत्रण पाया और फिर तेज तेज क़दमों से आगे बढ़ गया.
जहां तक उन लोगों और इस क्षेत्र का संबंध था. अपनी दानसत में उसने इस जगह के लिए सबसे अधिक ईमानदारी और दयानत दारी से अपने कर्तव्य को निभाया था. बार बार अपने दस्ते के द्वारा उसने इस क्षेत्र के स्टाल तोड़े थे उन्हें उजाड़ था. बार बार ये लोग फिर स्टॉल बनाते और हर बार उन्हें उजाड़.
इस जगह एक बार उस पर कातिलाना हमला भी हुआ था.
ज़ाहिर सी बात है जो जीवन लुट रही हो बदले में वह उसके अलावा कोई कदम उठा ही नहीं सकता था. उसके जीवन को दरपेश ख़तरे को देखते हुए सरकार ने उसे पिस्तौल और दो बॉडीगार्ड और बेशुमार पुलिस दी थी.
एक बार इस जगह अपनी सुरक्षा के लिए उसने गोली चलाई और गोली से उस पर हमला करने वाला तो नहीं मरस्का. मर गया एक बालक.
जो बूढ़ी हाजरह का था.
उसकी गोली से एक बच्चा मरा है उसे इसका एहसास था. इसके अलावा उसने कभी अधिक नहीं सोचा था.
परंतु मौत के इतने भयानक प्रभाव होने होंगे उसने सपने में भी नहीं सोचा था.
सरकार ने तो इस बच्चे के मरने पर उसके विरूध  कोई कार्रवाई भी नहीं की थी. हर किसी ने उसे निर्दोष मासूम करार दिया था. हर किसी का कहना था कि उसने अपने कर्तव्य को अदा करते हुए अपनी सुरक्षा के लिए गोली चलाई है. उसे अपनी रक्षा के लिए गोली चलाने का अधिकार है. सरकार इस संबंध में उसके विरुद्ध कार्यवाही न करे.
इस के विरोध में उठने वाली आवाज़ों से अधिक इस के समर्थन में उठने वाली आवाज़ें बुलंद थीं. इसलिए इस के विरोध में उठने वाली आवाज़ें दब कर रह गईं.
अपने मित्र को परसह देकर जब वह घर आया तो रात भर चैन से सो नहीं सका. सारी रात करोटें बदलता रहा. नींद उसकी आँखों से गायब रही. वह उस रात अपने ऊपर थोपने प्रकोप  कुछ ज्यादा ही शिद्दत से महसूस कर रहा था .
आज वह बच गया. संभव था आज इन बिफर हुए लोगों के हाथों उसकी मौत हो जाती. या बूढ़ी जिसका जवान बेटा उसके हाथों मारा गया है बदले में उसकी जान ले लेती. अगर वह भीड़ चाहती तो बदले में उसे मार मार कर अधमरा ज़रूर कर सकती थी.
आज वह बच गया.
परंतु अंत इस तरह कब तक बचता रहेगा?
क्या उसकी किस्मत में इस तरह किसी दिन किसी के हाथों मारे होना लिखा है? परंतु अंत उसे यह किस अपराध की सजा मिल रही है? आज सारी दुनिया उसकी दुश्मन क्यों है?
उसने जो कुछ किया अपना कर्तव्य निभाते हुए किया था. परंतु इस कर्तव्य के निभाने इस ज़माने को उसका दुश्मन बना लिया है.
अब परसों की बात है. एक बिल्डर ने उसे धर लिया था.
"मोपनार साहब याद है आपने मेरी पूरी बिल्डिंग को अवैध करार देकर तोड़ दिया था, क्या हुआ? मेरी वह बिल्डिंग तो फिर बन गई. मैंने इस बिल्डिंग में पहले से ज्यादा पैसा कमा लिया है नुकसान क्या हुआ? आप का ही हुआ ना मैंने तो बिल्डिंग न तोड़ने के लिए आपको लाखों रुपये का ऑफ़र दिया था और आपने उसे ठुकरा दिया था. यदि आप वह ऑफ़र न ठकराते तो फायदा आपका ही होता. देखिए में दिल वाला हूँ. मैंने आपको माफ़ कर दिया परंतु कई लोग आप को माफ नहीं कर सकते जो इमारतें आपने तोड़ी हैं. वह बदले की आग में सलग रहे हैं. अब तक उन्होंने अपने विरूध  कोई कदम इसलिए नहीं उठाया था क्योंकि आप बड़े सरकारी पद पर थे. आपके साथ पूरी सरकारी मिशनरी थी. परंतु आज तो आपका साया भी आपके साथ नहीं है सरकार के लिए आपने यह सब क्या उसने आप की रक्षा के लिए एक पुलिस का सिपाही भी नहीं दिया है .
वे बदले की आग में जल रहे हैं और वह आपसे बदला लेने के लिए कभी भी आप कुत्ते की मौत मार सकते हैं. इसलिए मेरा आपको सलाह है यदि आप अपने जीवन बचाना चाहते हैं तो यह शहर छोड़ कर चले जाएं. अपने गाँव जाकर गुमनामी जीवन कर लें इसी में आपकी भलाई है. जिस नौकरी से आप को निलंबित किया गया है वह नौकरी आपको अब मिलने वाली नहीं है. बल्कि सरकार तो आपके विरूध  कदम की सूची तैयार कर रही है औरसंभव है कि इन आरोपों को साबित कर जीवन भर के लिए जेल की काली कोठरी में भेज दे. इसलिए आपकी भलाई इसी में है कि नौकरी से इस्तीफा दे दें और सारे मामले को हटा दें.
इस बिल्डर की बात भी सही थी. शहर के कई सुनसुार बिल्डर उसके खून के प्यासे थे वह कभी भी उससे बदला ले सकते थे. और कल तक सरकार ने इस के जिन कामों को मान दिया था आज उन्हें अपराध करार देकर उसेअपराधी साबित करने की कोशिश कर रही है.
कुछ राजनीतिक नेताओं ने इस पद का लाभ उठाकर उस पर राजनीतिक दबाव डालकर कुछ ऐसी बलडिंगें तड़ोाई थीं जो कानूनी थीं. आज उनकी कानूनी बलडिंगों को तोड़ने के आरोप में उस पर मुकदमा चलाने के लिए उसे गिरफ्तार करने की तैयारियां की जा रही थीं .
उसने अपने पद पर रहते हुए अपनी ईच्‍छा से काम कम दूसरों के आदेश और दबाव में अधिक काम किए थे. किसी राजनीतिक नेता का आदेश आता. "इस अवैध बिल्डिंग के विरूध  कोई कार्रवाई नहीं की जाए." और कार्रवाई नहीं करता.
कभी किसी का आदेश आता. "व्यक्ति की बिल्डिंग तोड़ दी जाए चाहे वह कानूनी या गैर कानूनी." वह तोड़ देता.
कोई राजनीतिक आक़ा उसे आदेश देता. "जाओ आज इस क्षेत्र को ताराज कर दो." वह अपने दस्ते के साथ जाकर इस क्षेत्र को ताराज कर देता.
वही राजनीतिक आक़ा उसे आदेश देता. "इस क्षेत्र में कदम भी नहीं रखना." वह चाहते हुए भी इस क्षेत्र की ओर नजर उठाकर नहीं देखता था.
इस राजनीतिक आक़ा के लिए उसके दिल में हमदर्दी थी और उसके इशारे पर वह हर काम करता था. चाहे वह गलत हो या सही. वैध हो या अवैध. कभी उसने इस बारे में नहीं सोचा था. आक़ा हर आदेश बजा लाता था. और इस आदेश को बजा लाने में अपने पहुंच   और शक्ति का भरपूर और बेजा इस्तेमाल किया था.
परंतु आज वह राजनीतिक आक़ा भी किसी तरह से मदद करने को तैयार नहीं है. वह चुप है और कभी कभी तो उसे गालियाँ देने लगता है.
वह चाहता तो राजनीतिक आक़ा को दुनिया के सामने नंगा कर सकता था कि उसके इशारे पर उसने कैसे कैसे घंाोने काम किए हैं.
परंतु वह मजबूर था. उसके विरूध  भाषा भी नहीं हिला सकता था. क्योंकि वह जानता था आक़ा की ताकत इतनी जबरदस्त है कि उसके विरूध  उसके मुंह से अगर एक शब्द भी निकला तो उसके चीथड़े उड़ जाएंगे.
इसे सयाी नेता के विरूध  मुंह खोलने की सज़ा मिल रही थी. उसने राजनीतिक नेता के विरूध  मुंह खोला था तो सच्चाई पेश की थी. कोई आरोप नहीं लगाया था न उस पर तहमत लगाई थी.
और इस तरह का बयान देते हुए उसने अपनी दानसत में एक कर्तव्य है. परंतु इसका परिणाम क्या हुआ?
उसकी ही तंत्र के विरूध  हरकत में आ गई. और कुछ कारणों का सहारा लेकर निलंबित कर दिया गया. आ सकी सारी शक्ति इस पद छीन लिया गया. उसे अपंग बना कर घर भेज दिया गया.
आज वह अकेला है कमज़ोर है. अपनी सुरक्षा नहीं कर सकता. उसके चारों ओर उसके दुश्मन हैं. जो धीरे धीरे उसे घेर रहे हैं. वह उसका क्या हश्र करेंगे इसका उसे अनुमान है.
उसका कोई भी दर्द नहीं है, कोई झूठी हमदर्दी भी उसके साथ जिताने के लिए तैयार नहीं है. उसके अच्छे कामों का कोई जिक्र तक नहीं करता. हर कोई उसके ज़ुल्म व सितम और अत्याचार का ज़िक्र करता है और उसके कर्तव्यों के अंजाम देने को अत्याचार करार देता है.
उसे नौकरी से निलंबित कर दिया गया है. इस नौकरी पुनः प्राप्त करने के लिए वह लड़ रहा है. परंतु उसे स्‍वंय  विश्वास होचला है कि अब फिर उसे नौकरी, वह पद और शक्ति नहीं मिल सकती. जो आरोप उस पर लगा उसके विरूध  जो चार्जशीट तैयार की जा रही है. हो सकता है उससे उसे सज़ा भी हो जाए.
यह सब उसके साथ क्यों हो रहा है?
केवल इसलिए कि उसने पूरी ईमानदारी और दयानत दारी से अपना कर्तव्य अंजाम दिया था.
केवल इसलिए कि उसने अपने राजनीतिक आकाउं को खुश करने के लिए अपने पद का हर तरह से वैध और अवैध इस्तेमाल किया था. जो उन्होंने चाहा था वह कर दिखाया था.
आज वही आक़ा इसके विरूध  हैं और उसे सजा दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. कल तक वह सबके लिए िताब था. जिस पर चाहता था प्रकोप  बनकर नाज़िल होता था.
आज वह स्‍वंय  समझतोब है.
हर प्रकोप  उस पर गिर रहा है. वह कई िज़ाबों में म्बतलाहे.
अप्रकाशित
मौलिक
------------------------समाप्‍त--------------------------------पता
एम मुबीन
303 क्‍लासिक प्‍लाजा़, तीन बत्‍ती
भिवंडी 421 302
जि ठाणे महा
मोबाईल  09322338918

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